दिवाली का त्योहार रोशनी, उल्लास और खुशियों का पर्व है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी इस त्योहार की रौनक में खोए रहते हैं। दीयों की चमक और पटाखों की आवाज से पूरे देश में दिवाली का उत्सव जीवंत हो उठता है। लेकिन, इस बार कई राज्यों में दिवाली की छुट्टी पर ग्रहण लग गया है। कुछ राज्यों में बच्चों को स्कूल की सिर्फ एक दिन की छुट्टी दी जा रही है, जबकि अन्य जगहों पर स्कूल खुले रहेंगे। आइए जानते हैं कि दिवाली की छुट्टियों को लेकर इस साल किन राज्यों में क्या स्थिति है।
दिवाली की तिथि और छुट्टी की स्थिति
दिवाली का पर्व इस साल 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। हालांकि, कुछ लोग इसे 1 नवंबर को मनाने की योजना भी बना रहे हैं। कई राज्यों में इस त्योहार को लेकर 4-5 दिनों की छुट्टी का प्रावधान होता है, जबकि कुछ राज्यों में एक ही दिन की छुट्टी दी जा रही है। उत्तर भारत के राज्यों जैसे यूपी, बिहार, और दिल्ली में दिवाली की धूम मची रहती है और यहां पर अक्सर लम्बी छुट्टियाँ होती हैं। परंतु, दक्षिण और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में दिवाली की छुट्टी नाममात्र की ही होती है।
केरल और हिमाचल प्रदेश: दिवाली पर एक दिन की छुट्टी
दक्षिण भारतीय राज्य केरल में दिवाली को उत्तर भारत जितना महत्व नहीं दिया जाता है। वहां के स्कूलों में दिवाली पर केवल एक दिन, यानी 1 नवंबर को छुट्टी रहेगी। इसी तरह, हिमाचल प्रदेश में भी दिवाली के दिन स्कूलों में कोई विशेष छुट्टी नहीं होती। यह राज्य अपनी संस्कृति और परंपराओं में अधिक रुचि रखता है और इसी के अनुसार यहां के छुट्टी कैलेंडर को निर्धारित किया जाता है।
उत्तराखंड: दिवाली की छुट्टी को लेकर असमंजस
उत्तराखंड में फिलहाल 1 नवंबर से 3 नवंबर तक स्कूल बंद रखने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, दिवाली की तिथि बदलने के साथ इसमें बदलाव की संभावना भी है। वर्तमान में, हॉलिडे कैलेंडर के अनुसार, उत्तराखंड में दिवाली पर विशेष छुट्टी नहीं है, बल्कि 1 नवंबर को दिवाली के लिए अवकाश रखा गया है। इसके बाद 2 और 3 नवंबर को शनिवार और रविवार होने के कारण स्वाभाविक रूप से स्कूल बंद रहेंगे।
जम्मू और कश्मीर: दिवाली की छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं
जम्मू और कश्मीर में दिवाली की सरकारी छुट्टी नहीं दी जाती है। यहां के निवासी अपनी स्थानीय परंपराओं और त्योहारों को अधिक महत्व देते हैं, जिस कारण दिवाली को मनाने का उत्साह अन्य राज्यों जैसा नहीं होता। हालांकि, कुछ लोग दिवाली का जश्न मनाते हैं, पर सरकारी अवकाश के बिना इसे मानना उनके व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर होता है।
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मेघालय और अरुणाचल प्रदेश: स्थानीय पर्वों को प्राथमिकता
मेघालय और अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में दिवाली की अपेक्षा स्थानीय पर्वों को अधिक महत्व दिया जाता है। इन राज्यों में आदिवासी संस्कृतियों की विविधताएं हैं और उनके पारंपरिक त्योहारों पर स्कूल बंद रहते हैं। दिवाली के लिए यहां पर किसी प्रकार की छुट्टी का प्रावधान नहीं है, जिससे बच्चों को त्योहार के दिन भी स्कूल जाना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
दिवाली पर छुट्टियों का यह अंतर क्षेत्रीय परंपराओं और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। जहां उत्तर भारत में दिवाली बड़े पैमाने पर मनाई जाती है और छुट्टियाँ होती हैं, वहीं दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों में इसे सीमित या नाममात्र का महत्व दिया जाता है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि आने वाले वर्षों में छुट्टियों की योजना में कोई बदलाव आता है या नहीं।