इस साल दिवाली का त्योहार देशभर में बेहद धूमधाम से मनाया गया। हर गली, हर मोहल्ले में दीयों की रौशनी और रंग-बिरंगी सजावट ने एक नया उत्साह भर दिया। बाजारों में खरीददारी के लिए उमड़ी भीड़ ने एक नया इतिहास रच दिया। दिवाली के इस पर्व पर देश भर में व्यापारियों के चेहरों पर रौनक दिखाई दी, क्योंकि इस बार का कारोबार 4.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अपने आप में एक बड़ा कीर्तिमान है।
भारतीय उत्पादों का उत्साह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” अभियान ने इस बार दिवाली में खासा असर डाला। इस अभियान के चलते लोगों में भारतीय सामान को प्राथमिकता देने का जोश देखने को मिला। लोगों ने मिट्टी के दीये, लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं, वंदनवार, घर की सजावट का सामान, मिठाई, कपड़े और अन्य स्थानीय उत्पादों की खरीदारी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बाजारों में चीनी उत्पादों की मांग में कमी देखी गई और स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों को काफी फायदा हुआ।
दिवाली पर सजी बाजारों की रौनक
दिवाली के दिन, विशेष रूप से बाजारों में भीड़ थी। छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े व्यापारिक घराने सभी ने इस अवसर पर जमकर बिक्री की। खासकर मिट्टी के दीयों, रंग-बिरंगी लाइट्स, पूजा का सामान, मिठाई और अन्य दिवाली से जुड़े आइटम्स की भारी मांग रही। व्यापारियों के मुताबिक, दिवाली पर हुए इस रिकॉर्ड कारोबार ने उनके साल भर के लाभ को बढ़ा दिया। छोटे कुम्हार, कारीगर और घरों में दिवाली का सामान बनाने वाले स्थानीय लोग भी अच्छी आय प्राप्त कर पाए।
खुशहाल त्योहारी मौसम का आगाज
इस बार दिवाली से त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है, और इसके बाद शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि देवउठनी एकादशी के बाद शादी-ब्याह के इस सीजन में भी बाजार में रौनक बनी रहेगी और व्यापार में और अधिक बढ़ोतरी होगी। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि इस साल लोगों में भारतीय उत्पादों के प्रति खासा रुझान देखने को मिला। चीनी सामान की बजाय भारतीय वस्त्र, हैंडिक्राफ्ट आइटम्स और घरेलू उत्पादों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
Also Read: Diwali Bank Holiday 2024: जानें इस त्योहारी सीज़न में कब-कब बंद रहेंगे बैंक?
स्थानीय कारीगरों की मेहनत का सम्मान
इस दिवाली, स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों के परिश्रम को देशभर के लोगों ने सराहा। मिट्टी के दीये, रंगीन बंदनवार, गणेश-लक्ष्मी की सुंदर प्रतिमाएं, और हैंडमेड सजावट की वस्तुएं इन कारीगरों की मेहनत का जीता जागता उदाहरण थीं। व्यापारियों ने भी इस साल अपने उत्पादों को स्थानीय बनाने और चीनी सामान से परहेज करने पर जोर दिया। इससे न केवल इन उत्पादों का बाजार बढ़ा, बल्कि इन कारीगरों की आजीविका में सुधार हुआ।
भारतीय उत्पादों की ओर रुझान
बाजार में हुई भारी खरीदारी ने ये दिखा दिया कि लोग अब भारतीय उत्पादों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं। इसका कारण “वोकल फॉर लोकल” अभियान को माना जा सकता है। इस बार दिवाली के दौरान मिट्टी के दीये, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और घर की सजावट के सामान की सबसे ज्यादा मांग रही।
निष्कर्ष
दिवाली 2024 पर हुए इस रिकॉर्ड कारोबार ने भारतीय व्यापार को एक नया जोश दिया है। लोगों का स्वदेशी उत्पादों की ओर रुझान इस बात का प्रमाण है कि भारतीय कारीगर और उनके उत्पाद अब बाजार में एक मजबूत स्थान बना चुके हैं। आगामी शादियों के सीजन में भी व्यापारी इसी रुझान से प्रेरित होकर अच्छे व्यापार की उम्मीद कर रहे हैं।